कविता: ख़ाना विद् योगा
आओ, मिल कर, दावत,
उड़ाते................!, हैं।
कुछ, आप खाओ,
कुछ, हम खाते, हैं।
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अभी तो हैं, हम ज़वान,
उम्र भी है, 40 से, कम।
फिर, क्यों करें, खाने को, कम।
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40 से पहले, शरीर,
अच्छा, कर, जाता है।
पाचन क्रिया से, जितना
भी खाओ, सब पच, जाता है।
आदमी, खाने के लिये,
जीता है,
ऐसा, जाना, जाता है।
*******************************
पर 40 के बाद,समय
के, साथ साथ,
सब उलट, जाता है।
आदमी, खाने को नहीं,
खाना, आदमी को,
खा....................!, जाता है।
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कहे राजेन्द्र,60 के बाद,
जो पेट को,
डस्ट बिन, बनावेगा।
वो, परेशानियां, ढ़ेरों, उठावेगा।
अपनों के साथ भी, बैठ न, पावेगा।
जल्दी ही, टपक भी, जावेगा।
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कहता है, ये राजेन्द्र, क़ि,
अब, इन कुछ,
लाइनों...............!, में।
उम्र के इस, 60 वर्ष
के पड़ाव, में।
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राजेन्द्र से, गर् आदमी,
ले ले, ये तीन मंत्र, ऐसे।
दादी माँ के, नुख्शे, जैसे।
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1. खान पान:
उड़ाते................!, हैं।
कुछ, आप खाओ,
कुछ, हम खाते, हैं।
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अभी तो हैं, हम ज़वान,
उम्र भी है, 40 से, कम।
फिर, क्यों करें, खाने को, कम।
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40 से पहले, शरीर,
अच्छा, कर, जाता है।
पाचन क्रिया से, जितना
भी खाओ, सब पच, जाता है।
आदमी, खाने के लिये,
जीता है,
ऐसा, जाना, जाता है।
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पर 40 के बाद,समय
के, साथ साथ,
सब उलट, जाता है।
आदमी, खाने को नहीं,
खाना, आदमी को,
खा....................!, जाता है।
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कहे राजेन्द्र,60 के बाद,
जो पेट को,
डस्ट बिन, बनावेगा।
वो, परेशानियां, ढ़ेरों, उठावेगा।
अपनों के साथ भी, बैठ न, पावेगा।
जल्दी ही, टपक भी, जावेगा।
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कहता है, ये राजेन्द्र, क़ि,
अब, इन कुछ,
लाइनों...............!, में।
उम्र के इस, 60 वर्ष
के पड़ाव, में।
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राजेन्द्र से, गर् आदमी,
ले ले, ये तीन मंत्र, ऐसे।
दादी माँ के, नुख्शे, जैसे।
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1. खान पान:
खाने पीने का, ध्यान
रक्खे, ऐसे।
नीचे लिखे, जैसे।
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पानी पिये, इतना।
हाथी पिये, जितना।
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पानी पिये, ऐसे।
घूँट घूँट कर, पीते, जैसे।
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सुबह, पानी पिये ऐसा।
हल्के गर्म पानी में,
नींबू, व शहद,
मिला हो, जैसा।
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ख़ाना खाये, इतना।
चिड़िया खाती, जितना।
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घी, मिर्च मसाले, और,
मीठा, कम खाये, इतना।
बस, दाल में,नमक होता, जितना।
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चबा चबा कर, खाये, इतना।
गाय, जुगाली करती, जितना।
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समुद्री नमक देवे, बीमारी,
सेंधा नमक, ले लेवे,
बीमारी, इसलिये,
नमक यूज़ करे, ऐसा।
सेंधा नमक होता, जैसा।
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2. योगा:
रक्खे, ऐसे।
नीचे लिखे, जैसे।
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पानी पिये, इतना।
हाथी पिये, जितना।
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पानी पिये, ऐसे।
घूँट घूँट कर, पीते, जैसे।
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सुबह, पानी पिये ऐसा।
हल्के गर्म पानी में,
नींबू, व शहद,
मिला हो, जैसा।
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ख़ाना खाये, इतना।
चिड़िया खाती, जितना।
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घी, मिर्च मसाले, और,
मीठा, कम खाये, इतना।
बस, दाल में,नमक होता, जितना।
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चबा चबा कर, खाये, इतना।
गाय, जुगाली करती, जितना।
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समुद्री नमक देवे, बीमारी,
सेंधा नमक, ले लेवे,
बीमारी, इसलिये,
नमक यूज़ करे, ऐसा।
सेंधा नमक होता, जैसा।
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2. योगा:
योगा करे, ऐसे।
नीचे लिखे, जैसे।
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भस्त्रिका करे, इतनी।
50 तक, गिनती, जितनी।
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अनुरोम विलोम करे, इतना।
100 तक, गिनती, जितना।
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कपाल भाति, करे इतनी।
1200 तक, गिनती, जितनी।
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3. व्यायाम:
नीचे लिखे, जैसे।
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भस्त्रिका करे, इतनी।
50 तक, गिनती, जितनी।
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अनुरोम विलोम करे, इतना।
100 तक, गिनती, जितना।
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कपाल भाति, करे इतनी।
1200 तक, गिनती, जितनी।
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3. व्यायाम:
व्यायाम करे, ऐसे।
नीचे, लिखे, जैसे।
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शारीरिक व्यायाम, करे, इतना।
शरीर, सह सके, जितना।
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मॉर्निंग वाक, करे, इतनी।
42 मिनट तक,
चलने................!, जितनी।
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तो, सलामत रहेगी तंदरुस्ती।
मन तो होगा ही,प्रफ़ुल्ल,
शरीर में भी,
बनी रहेगी, स्फूर्ती।
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कहे राजेन्द्र, क़ि, माना,
इतना सब करना,
कठिन है, ज़रूर।
पर, स्वस्थ रहने को,
कुछ तो, करना ही,
पड़ेगा न, हज़ूर।
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तभी तो, बात बनेगी, काम की।
प्रेम से बोलो, जै श्री राम की।
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कविता: राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता
404/13, मोहित नगर
देहरादून
नीचे, लिखे, जैसे।
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शारीरिक व्यायाम, करे, इतना।
शरीर, सह सके, जितना।
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मॉर्निंग वाक, करे, इतनी।
42 मिनट तक,
चलने................!, जितनी।
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तो, सलामत रहेगी तंदरुस्ती।
मन तो होगा ही,प्रफ़ुल्ल,
शरीर में भी,
बनी रहेगी, स्फूर्ती।
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कहे राजेन्द्र, क़ि, माना,
इतना सब करना,
कठिन है, ज़रूर।
पर, स्वस्थ रहने को,
कुछ तो, करना ही,
पड़ेगा न, हज़ूर।
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तभी तो, बात बनेगी, काम की।
प्रेम से बोलो, जै श्री राम की।
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कविता: राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता
404/13, मोहित नगर
देहरादून